गुरुवार, 6 जून 2013

बदहाली के कागार पर है विदेशो में ख्याति प्राप्त कलाकार

बदहाली के कागार पर है विदेशो में ख्याति प्राप्त कलाकार

दुनिया में कलाकारों की कोई कमी नही है। लेकिन वर्तमान युग में यहां उनको और उनकी कला को सम्मान देने वालों की कमी है। सिमडेगा में भी एक एैसा हीं कलाकार है। जो अपनी काष्ठ कला के माध्यम से देश के साथ साथ विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है। लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण आज वह बदहाली के कागार पर पंहुच गया है। एक रिर्पोट

सिमडेगा के छोटे से कस्बे कोलेबिरा में पिछले 40 वर्षो से अपनी कला का जादु बिखरने वाला महाबीर मिस्त्री नामक यह कलाकार आज अपनी उम्र के आखरी पडाव पर है। लेकिन आज भी महाबीर अपनी बुढी आंखों के सहारे एक लकडी के टुकडे को तराश कर सांप बनाता है। महाबीर मुलत बिहार के आरा जिला का रहने वाला है। यह अपनी पत्नी के साथ सन 1973 में सिमडेगा आया था। उसी समय से यह लकडी के सांप बना रहा है। अविभाजित बिहार में महाबीर को बिहार सरकार के तरफ से उनकी बेहतर कला के लिए एक मेडल भी मिला था। महाबीर का कहना है कि एक बार दिल्ली से कुछ लोग आये थे और उसकी कला से प्रभावित होकर उसे सहायता दिलाने के नाम पर उसके नाम लिख कर ले गये थे। लेकिन उसके बाद उन्हे कुछ नहीं मिला। महाबीर का कहना है कि उसके द्वारा बनाये गये लकडी के सांप स्विीजरलैंड तक गये हैं। लेकिन झारखंड अलग होने के बाद से उनको आज तक कोई सरकारी सहायता या प्रोत्साहन नहीं मिला है। कल तक अपनी कला को अपना शौक बना कर नाम कमाने वाले इस कलाकार को उम्र के आखरी पडाव पर आज पेट की आग बुझाने के लिए मजबुरन ये सांप बनाना पड रहा है। दिन भर की कडी मेहनत के बाद बनाया गया एक सांप ये 200 रूपये में बेचते हैं। तब जाकर इनके घर का चुल्हा जलता है। कल तक अपनी कला से दुनिया में अपना नाम रोशन करने वाला कलाकार आज सरकारी उपेक्षा के कारण अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहा है।

काष्ठ कला के इस अनोखे कलाकार की उपेक्षा से आज कोलेबिरावासी भी क्षुब्ध है। यहां के रथिन्द्र गुप्ता ने नामक समाजसेवी का कहना है कि सरकार को ऐसे कलाकार को प्रोत्साहन देना चाहिए जिससे इनकी कला को सम्मान मिल सके। कला तो कला है इसकी पूजा तो जरूर होनी चाहिए। सरकार अगर ऐसे कलाकारो की तरफ थोडा सा भी ध्यान देदे तो ऐसी अनोखी कला अमर हो जायेगी।

ashish shastri simdega 9334346611

मंगलवार, 4 जून 2013

बात कुछ अनकही सी।

ashish shastri simdega 9334346611

नशा तस्करी का काॅरिडोर बना सिमडेगा

नशा तस्करी का काॅरिडोर बना सिमडेगा

झारखंड के दक्षिणी छोर पर बसा सिमडेगा जिला इन दिनो नशा तस्करो का काॅरिडोर बना हुआ है। नशा के तस्कर ओडिसा राज्य से सिमडेगा के रास्ते बिहार, युपी और दिल्ली तक नशा का सामान पंहुचा रहे हैं। एक रिर्पोट

सिमडेगा बना नशे के सौदागरो का काॅरिडोर। सिमडेगा के रास्ते हो रही है बडे पैमाने पर  गांजा की तस्करी। सिमडेगा के थाने में खडी ये लक्जरी गाडियों को देख कर ये लगता है कि ये गाडियां किसी वीआईपी की हैं। लेकिन आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि इन गाडियों का उपयोग नशे की तस्करी के लिए किया जाता था। जी हां जरा इन गाडियों की सीटो और डिक्की के नीचे बने ये बाॅक्स देखिये। नशा के तस्कर इन बाॅक्सों में गांजा भर कर ओडिसा से बिहार, युपी और दिल्ली तक लेकर जाते हैं। जानकारी के अनुसार ओडिसा राज्य के अंगुल, सुंदरगढ, राउरकेला इत्यादी जगहो से गांजा के तस्कर बडे पैमाने में गांजा लक्जरी कारो में भरवाते हैं और इसे फिर सिमडेगा के रास्ते बिहार इत्यादी जगहो में भेज देते हैं। तस्कर पुलिस की नजरो से बचने के लिए लक्जरी गाडियों का प्रयोग करते हैं। सिमडेगा पुलिस ने हाल के दिनो में वाहन चेकिंग अभियान के दौरान आठ सौ किलो से अधिक गांजा जब्त किया है।facebook

पुलिस द्वारा जब्त की गई गांजा देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन तस्करो का ये नशे का कारोबार कितना बडा है। पुलिस ने इन गांजो के साथ अभी तक करीब एक दर्जन लोगो को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि अभी तक सिर्फ गाडियों के चालक इत्यादी ही गिरफ्तार किये जा सके हैं। जो गांजा तस्करी में कुरियर का काम करते हैं। पुलिस इस तस्करी से जुडे बडे मछली की तलाश में है। पुलिस इसके लिए ओडिसा पुलिस से संपर्क कर गांजा के ठिकानो में छापामारी करने की तैयारी में हैं। गांजा की इस तस्करी की जानकारी सीआईडी टीम को भी है। पुलिस का दावा है कि भविष्य में गांजा की लगातार हो रही तस्करी में अंकुश लगेगा।

गांजा तस्करी में अंकुश लगाने के पुलिस के दावे कितने सफल होगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है कि पुलिस अगर जल्द इन तस्करो पर अंकुश नही लगाएगी तो आने वाली पीढी नशे में डुब जाएगी।



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मंगलवार, 17 मई 2011

प्रेरणादायक किसान


किसी ने कहा है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से नहीं हौसलों से उडान होती है। हौसला हो मन में अगर तो रेगिस्तान में भी समंदर निकल जाता है। कुछ ऐसा हीं प्रेरणादायक कारनामा कर दिखाया है सिमडेगा के नौजवान किसानों ने।

सिमडेगा सदर प्रखंड के खुंटीटोली गांव के किसान वर्षों से अपने गांव के बगल में बहने वाली पालामाडा नदी की पानी से सिंचाई कर खेती बाडी करते रहे थे। लेकिन इस वर्ष भीषण गर्मी के कारण इस नदी की जलधारा सुख गयी, और पूरा नदी रेगिस्तान जैसा नजर आने लगा। पानी की कमी के कारण गांव के किसान मायुस हो गये। लेकिन इसी गांव के कुछ नौजवान किसानों ने इस विकट परिस्थती से घबराने की जगह अपना हौसला बुलंद कर सुखी हुई नदी का सीना चिर डाला और उसमें से जलधारा निकाल कर खेती को लहलहा दिया। आज वे इसी नदी के पानी के बदौलत धान सहित सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं।


नौजवान किसानो के इस हौसले ने बुडे किसानों में भी नई चेतना भर दी है और वे भी अब आगे बढ कर नौजवानो के दिखाये तरीके से खेती कर रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि अगर उन्हे सरकारी सहयोग मिल जाए तो वे अपने मेहनत के बल पर और बेहतर खेती कर सकते हैं।


पंचायत चुनाव के बाद चुने गये प्रतिनिधि इन किसानो के हौसले की तरीफ तो करते हैं। लेकिन इन्हे अभी तक कोई सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिल पाने के कारण वे सरकारी तंत्र से नाराज नजर आये। इन प्रतिनिधियों का कहना है कि वे इन किसानो को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगें।

पानी के इस अनोखे जुगाड से आज पूरा क्षेत्र हराभरा नजर आने लगा है। ये किसान आज सुख्ी नदी में जलधारा निकाल कर जो हरियाली पैदा की है। ये निश्चित काबिले तारिफ है। आज ये किसान क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा को श्रोत बन गये हैं। अगर पानी के इस जुगाड को अन्य किसान भी अपना ले तो राज्य से सुखाड की समस्या निश्चित रूप से समाप्त हो जायेगी।



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